Prabha Atre : और एक बड़ी हस्ती का हो गया स्वर्गवास

प्रभा अत्रे भारतीय शास्त्रीय संगीत की महान हस्ती है। इनका जन्म 13 सितंबर सन्1932 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। यह किराना घराने से संबंध रखती हैं। इनके पिता का नाम आभा साहब अत्री था। इनकी माता का नाम इंदिरा बाई अत्रे था। बचपन से ही इनकी संगीत में विशेष रूचि थी। दुर्भाग्यवश इनका देहांत 13 जनवरी 2024 को पुणे में हो गया है | Prabha Atre

प्रभा का जन्म महाराष्ट्र के पुणे के एक किराना घराने में हुआ था | बचपन से ही प्रभा को संगीत में रुचि थी, किंतु यह किसी प्रकार से भी इसे करियर के रूप में नहीं अपनाना चाहती थी। प्रभा जब 8 वर्ष की थी तब उनकी माता का स्वास्थ्य खराब रहने लगा था। तब उनके एक मित्र ने उन्हें सलाह दी की शास्त्रीय संगीत से उनकी माता का स्वास्थ्य ठीक हो सकता है। इस कारण वह संगीत सीखने लग गई। वह विजय करंदीकर के पास संगीत सीखने के लिए जाती थी। परंतु उच्चतम प्रशिक्षण के लिए यह सुरेश बाबू माने और श्रीमती हीराबाई बरोदेकर से संगीत सीखने लगी।
शैक्षणिक योग्यताएं-प्रभा ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अनेक योग्यताएं प्राप्त की थी। इन्होंने बैचलर ऑफ साइंस, ,(पुणे विश्वविद्यालय), बैचलर आफ लॉ ,(लॉ कॉलेज पुणे ) से की थी। इन्होंने संगीत के क्षेत्र में भी बहुत सी योग्यताएं प्राप्त कर की हुई थी। इन्होंने संगीत अलंकार , डॉक्टर संगीत के सरगम पर अनुसंधान ,पश्चिमी संगीत थ्योरी ग्रेड उपलब्धियां प्राप्त की हुई थी। यह कथक नृत्य शैली भी जानती थी |

Prabha atre :एक कलाकार के रूप में प्रभा का जीवन

प्रभा एक प्रतिभाशाली कलाकार थी। शास्त्री संगीत में विशेष रूचि थी। 20वीं सदी की सबसे प्रमुख कलाकारों में से एक थी। 11 पुस्तकें जारी करने का विशेष रिकॉर्ड इन्होंने अपने नाम किया है। विदेशों में प्रभा विजिटिंग प्रोफेसर रह चुकी है।

Prabha Atre : प्रभा को को प्राप्त पुरस्कार उपाधियां

इन्हें पद्म भूषण ( 2002) ,पदम श्री (1990), पद्म विभूषण (2022)और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1991) जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया था

लेखिका के रूप में प्रभा

प्रभा अत्रे एक अच्छी लेखिका भी थी। इन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी हैं। उनके द्वारा लिखी गई पहली पुस्तक “स्वरामयी” है। प्रभा की संगीत रचनाओं की पुस्तकों में स्वरंजनी स्वरंगीनी,स्वरांगी आती है। इनकी संगीत संबंधी विचारों वाली पुस्तकों में स्वरमयी और सुस्वारली संगीत की राह पर श्रोता को ज्ञानवर्धक आदि आती हैं। इनकी कविता की पुस्तक अंत: स्वर है।